गणतंत्र दिवस पर इस बार झांकियों में पंजाब का दबदबा देखने को मिला। राज्यों की झांकी में पंजाब ने शेर-ए-पंजाब रणजीत सिंह को मुख्य विषय बनाया तो रेल मंत्रालय की झांकी ‘पंजाब मेल’ पर आधारित थी।
राज्यों की झांकी में पंजाब ने इस बार शेर-ए-पंजाब महराजा रणजीत सिंह पर अपनी झांकी प्रस्तुत की। झांकी को लाहौर के किले का रूप दिया गया था और उस पर शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की विशाल प्रतिमा सजाई गयी थी। उनकी छवि को तैयार करने में बारिकियों का ध्यान रखा गया था।
इसके साथ पैदल सेना, अश्वरोही और हाथियों पर सवार सेना के साथ महराजा रणजीत सिंह के सैन्य प्रशासन के प्रदर्शन को भी शामिल किया गया था। रंगों के शाही वैभव के बीच सभी तत्वों को मिलाकार समग्र पंजाब के समर्थ शूरवीर शासक के चरित्र को उभारा गया था।
रेलवे ने भी अपनी झांकी इस बार पंजाब के नाम रखी। रेलवे ने ‘पंजाब मेल-तब और अब’ नाम से अपनी झांकी प्रस्तुत की। पंजाब मेल भारतीय रेल की ऐसी पहली रेलगाड़ी है जो अपने 100वें वर्ष में पदार्पण कर रही है। इस ट्रेन को 1912 में शुरू किया गया था।
वो दौर गया जब पंजाब मेल भाप इंजन से चलाई जाती थी, अब इसे डीजल और बिजली के रेल इंजनों से चलाया जाता है। यह रेलगाड़ी छह राज्यों से गुजरते हुए अपने साथ विभिन्न प्रांतों की महक समेटते हुए 'देश का मेल...भारतीय रेल' का संदेश जन-जन तक पहुंचाती है।
इसके साथ पैदल सेना, अश्वरोही और हाथियों पर सवार सेना के साथ महराजा रणजीत सिंह के सैन्य प्रशासन के प्रदर्शन को भी शामिल किया गया था। रंगों के शाही वैभव के बीच सभी तत्वों को मिलाकार समग्र पंजाब के समर्थ शूरवीर शासक के चरित्र को उभारा गया था।
रेलवे ने भी अपनी झांकी इस बार पंजाब के नाम रखी। रेलवे ने ‘पंजाब मेल-तब और अब’ नाम से अपनी झांकी प्रस्तुत की। पंजाब मेल भारतीय रेल की ऐसी पहली रेलगाड़ी है जो अपने 100वें वर्ष में पदार्पण कर रही है। इस ट्रेन को 1912 में शुरू किया गया था।
वो दौर गया जब पंजाब मेल भाप इंजन से चलाई जाती थी, अब इसे डीजल और बिजली के रेल इंजनों से चलाया जाता है। यह रेलगाड़ी छह राज्यों से गुजरते हुए अपने साथ विभिन्न प्रांतों की महक समेटते हुए 'देश का मेल...भारतीय रेल' का संदेश जन-जन तक पहुंचाती है।
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