Saturday, 10 December 2011

लोकपाल पर सब राहुल गांधी का करा-धरा रविवार को धरना, 27 से करेंगे अनिश्चितकालीन अनशन


लोकपाल मुद्दे पर सरकार के वायदे से पीछे हटने के पीछे कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी का हाथ होने का आरोप मढ़ते हुए अन्ना हजारे ने शनिवार को एलान किया कि वे पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी जनता के बीच जाकर इस सरकार को वोट नहीं देने के लिए कहेंगे।

अन्ना ने कहा कि ये सरकार बार-बार पलटी खा रही है और लोकपाल पर अपने वायदे से पीछे हट रही है। प्रधानमंत्री के पत्र को कचरे में डाल दिया। मुझे संदेह है इसके पीछे किसी और का हाथ है। इसके पीछे राहुल गांधी है। उसके अलावा किसी और में दम नहीं है कि ये सब करवा सके। किसकी हिम्मत है कि राहुल की बात न माने। तभी तो गड़बड़ हो रही है।

लोकपाल विधेयक को लेकर रविवार को जंतर-मंतर पर धरना देने जा रहे अन्ना ने सरकार को यह चेतावनी भी दी कि अगर 22 दिसंबर तक संसद विधेयक पारित नहीं करती है तो वह 27 तारीख से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे।

भ्रष्टाचार से जीना मुश्किल : उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। जब तक श्रेणी-सी और डी के सरकारी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में नहीं लाया जाएगा, देश के गरीबों को न्याय नहीं मिलेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राहुल इस देश के युवा नेता हैं। अगर वह समाज की ओर से दिए गए विधेयक को मानें तो राहुल के साथ मिलकर काम करेंगे।

अन्ना ने कहा कि अगर ये सरकार जन लोकपाल नहीं बनाती है तो अगले दो साल तक लगे रहेंगे। जनता के बीच जाकर सरकार के खिलाफ उसे जागरूक करूंगा और फिर आम चुनाव में जनता से इस सरकार को वोट नहीं देने के लिए कहूंगा।

उन्होंने कहा कि संसद की स्थायी समिति ने जो विधेयक संसद को लौटाया है, उसमें लोकपाल से जांच का अधिकार ही छीन लिया है, जबकि सरकार द्वारा तैयार विधेयक में यह अधिकार दिया गया था। यह देश की जनता के साथ धोखाधडी है।

उनके मुताबिक वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि वे संसद में इस विधेयक को लाएंगे। प्रधानमंत्री उन्हें पत्र लिखकर कहते हैं कि नागरिक चार्टर और सभी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में प्रावधान विधेयक में किया जाएगा और अब स्थायी समिति का अध्यक्ष कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी बोलते हैं कि अन्ना को ऐसा कोई पत्र दिया ही नहीं था।

सरकार है बनिए की दुकान : अन्ना ने कहा कि यह सरकार है या बनिए की दुकान। यह देश की जनता के साथ धोखाधड़ी है। उन्होंने कहा कि हमने सरकारी मसौदा नामंजूर किया तो संयुक्त समिति बनी, जिसमें सरकार के पांच वरिष्ठ मंत्री थे। ढाई महीने समिति की बैठकें चलीं, लेकिन सरकार ने हमारी बातों को विधेयक के मसौदे में शामिल नहीं किया। कैबिनेट ने जो विधेयक मंजूर किया, वह सरकार का अपना विधेयक था। इस प्रकार स्थायी समिति में हमारे विधेयक पर तो चर्चा हुई ही नहीं।

अन्ना ने कहा कि स्थायी समिति में 30 सदस्य थे, जिनमें से दो अनुपस्थित रहते थे। विधेयक का 17 सदस्यों ने विरोध किया है, जबकि केवल 11 ने समर्थन। यह लोकशाही है या हुकुमशाही। जो 11 लोगों ने कहा, उसे सही माना जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हमने 16 अगस्त को आंदोलन किया। जनता की आवाज उठाई। पूरा देश अनशन में शामिल हुआ। मैं सरकार को चेतावनी देता हूं कि अगर 22 दिसंबर तक लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो 27 से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दूंगा, जितने दिन संसद नहीं चली है, उतने दिन बढ़ाइए। यह विधेयक पूरे देश का प्रश्न है, जनता का प्रश्न है।

सरकार की मंशा पर सवाल : अन्ना ने कहा कि जन लोकपाल विधेयक नहीं लाने वाली इस सरकार की मंशा भ्रष्टाचार मिटाना नहीं है। सरकार विदेश से कर्ज लेती है और उसे चुकाने के लिए फिर कर्ज लेती है। इस देश में जो भी नया बच्चा जन्म लेता है, 25 हजार रुपए कर्ज की गठरी सिर पर लेकर जन्मता है। यह धन सरकार ने हड़प किया है और भुगतान नन्हे बच्चे को करना पड़ता है।

शहीदों का बलिदान भूली सरकार : उन्होंने कहा कि एक दिन जनता सबक सिखाएगी। यह सरकार देश की भलाई करना चाहती है या खुद की भलाई। यह सरकार शहीदों का बलिदान भूल गई है। भगतसिंह और सुखदेव का बलिदान भूल गई है, लेकिन हम भी चुप नहीं रहेंगे।

कांग्रेस को वोट मत दो : यह पूछने पर कि अगर वह जनता से कांग्रेस को वोट नहीं देने के लिए कहेंगे तो फिर किसे वोट देने को कहेंगे, अन्ना ने कहा कि मैं जनता से कहूंगा कि कांग्रेस को वोट मत दो। चरित्रवान को वोट दो। कांग्रेस पर अविश्वास है।

सड़कों पर उतरो पर हिंसा मत करो : उन्होंने कहा कि मैं युवाओं का आह्वान करता हूं कि सड़कों पर उतरो, लेकिन हिंसा मत करना। जो मिसाल पिछले आंदोलनों में हमने कायम की है, आज पूरी दुनिया उसकी चर्चा कर रही है। हम लडेंगे, लेकिन अहिंसक तरीके से। अन्ना ने बताया कि हमारे 32 मुद्दों को विधेयक में शामिल नहीं किया गया। सरकार अगर बात करेगी, तभी समाधान निकलेगा। रविवार को हमने सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया है ताकि खुलकर चर्चा हो जाए।

जेटली, बर्धन, यादव आएंगे : भाजपा से अरुण जेटली, जदयू से शरद यादव, भाकपा से एबी बर्धन, माकपा से वृन्दा कारात, सपा से रामगोपाल यादव, तेदेपा से चंद्रबाबू नायडू आएंगे। कांग्रेस को भी पत्र लिखा था, लेकिन उसने जवाब दिया कि वह किसी को नहीं भेजेगी। फिर भी कांग्रेस को दोबारा पत्र भेजा गया है।

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