Tuesday, 22 November 2011

भगत सिंह की यादों को ताजा करेगी ‘इंकलाब’

भगत सिंह

गांधीवादी अन्ना हजारे के आंदोलन से काफी पहले नागरिकों की सक्रियता पर बनी फिल्म ‘इंकलाब’ को जल्द ही पणजी में आयोजित होने जा रहे भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लघु फिल्म खंड में दिखाया जाएगा।

चंडीगढ़ स्थित फिल्मकार गौरव छाबड़ा ने बताया कि यह फिल्म एक कार्यकर्ता के रूप में उनके निजी अनुभव पर आधारित है। यह फिल्म ऐसे सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य और समय में बनाई गई है जब भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष चल रहा है और इसे लेकर देश भर में एक खासा जन आंदोलन खड़ा हो गया है।

छाबड़ा ने बताया कि ‘इंकलाब’ एक लघु फिल्म है जो संसद में बम फोड़ कर भगत सिंह द्वारा जताए गए विरोध की घटना से प्रभावित है।

छाबड़ा ने कहा, ‘जैसी कि योजना थी, बम ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन महात्मा गांधी के दौर और बेहद लोकप्रिय अहिंसक स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस तरह के काम को तुरंत ‘हिंसात्मक’ करार दे दिया गया। इस फिल्म में नागरिक आंदोलन के विकेंद्रीकरण की बात की गई है और यह किसी भी क्षेत्र में शक्ति के केंद्रीकरण का समर्थन नहीं करती है।

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