Saturday, 6 August 2011

स्कूलों में बायोमेट्रिक सिस्टम की योजना सिरे नहीं चढ़ सकी

शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में बायोमेट्रिक सिस्टम लगाने की योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ सकी है। योजना के अनुसार एक महीना पहले ही स्कूलों में बायोमेट्रिक सिस्टम लग जाने चाहिए थे। नई व्यवस्था में अध्यापकों की हाजिरी कलम से नहीं, मेट्रिक मशीन द्वारा लगनी थी, लेकिन यह सिस्टम अभी तक किसी भी स्कूल में नहीं लग पाया है।

प्रदेश भर के 3200 से अधिक हाई तथा सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों की हाजिरी लगाने के लिए विभाग द्वारा मेट्रिक सिस्टम लगाया जाना था। इसके लिए गर्मियों की छुट्टियों में मशीन लगाई जानी थी। विभाग की ओर से कहा गया था कि गर्मियों की छुट्टियों के बाद जब शिक्षक स्कूलों में आएंगे तो उनकी हाजिरी रजिस्टर में नहीं, अंगूठे के निशान से मशीन में लगेगी। अब गर्मियों की छुट्टियां खत्म हुए भी एक महीना बीत चुका और यह कार्य शुरू भी नहीं हो सका है। ऐसे में शिक्षक पुराने तरीके से ही हाजिरी लगा रहे हैं। अब सरकार 15 अगस्त तक मशीनें लगाने की बात कह रही है।

प्रदेश के 3200 से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं, जहां बायोमेट्रिक सिस्टम लगना है। कई स्कूलों में मेट्रिक मशीन पहुंच तो चुकी हैं, लेकिन यह शुरू नहीं हो पाई हैं। ऐसे में विभाग की यह योजना करीब एक माह लेट हो गई है। सूत्रों की मानें तो बहुत जल्द यह व्यवस्था लागू होती भी नहीं दिख रही। मशीनें लगने में दो माह का समय अभी और लग सकता है।

ऐसे काम करती है बायोमेट्रिक मशीन

मेट्रिक मशीन में हाथ के अंगूठे के निशान से हाजिरी लगती है। इसमें निश्चित समय फीड कर दिया जाता है। इसी के अनुसार दफ्तर आने तथा छुट्टी के समय दफ्तर से वापसी का समय तय होता है। सभी कर्मचारियों को सुबह दफ्तर आने पर मशीन में अंगूठा लगाना होगा, बस हाजिरी लग जाएगी। इसके बाद छुट्टी के समय भी यह प्रक्रिया दोहरानी होगी। इससे समय से पहले दफ्तर छोड़ने वालों पर नकेल लग जाती है।

बायोमेट्रिक व्यवस्था को शुरू करने की प्रक्रिया लंबी है। इसके लिए अलग से फिटिंग तथा अन्य उपकरण सैट करने पड़ते हैं। इसमें समय लगना स्वाभाविक बात है। प्रदेश के करीब 3200 हाई स्कूलों और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में मशीन लगाने की योजना थी।""

कृष्णा दलाल, डीईओ, रोहतक।

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